पड़ोसन भाभी के साथ बढ़ती नज़दीकियाँ – एक सच्ची और अनकही दास्तान

कभी-कभी ज़िंदगी में कुछ रिश्ते अनजाने में इतने करीब आ जाते हैं कि हम खुद नहीं समझ पाते कि हम कहाँ खड़े हैं। यह कहानी है मेरे और मेरी पड़ोसन भाभी की, जो सिर्फ सामने वाले घर की औरत नहीं थीं… धीरे-धीरे वो मेरी हर सोच, हर ख्वाब और हर नज़र का हिस्सा बनती चली गईं। ये सिर्फ एक लव स्टोरी नहीं है, ये एक अनकही चाहत की दास्तान है — जहाँ दिल की बातों ने लफ़्ज़ तलाशे, और आँखों ने इशारे।

शुरुआत एक नज़र से हुई…

मैं रोज़ सुबह ऑफिस के लिए निकलता था, और भाभी जी उस वक़्त आँगन में झाड़ू लगाते हुए मिलती थीं। उनकी हल्की मुस्कान, और कभी-कभी नज़रें मिल जाने का जो जादू था — वो दिनभर मेरे दिमाग में घूमता रहता।

भाभी की मौजूदगी में कुछ ऐसा था जो नज़रें रोकने पर मजबूर कर देता था। उनकी हर अदा, हर लिबास, हर मुस्कान में एक गुप्त निमंत्रण सा महसूस होता था। और शायद उन्हें भी एहसास था कि मैं उन्हें देखता हूं — तभी तो कई बार जानबूझकर इधर-उधर देखकर मुस्कुरा देती थीं।

जब Instagram से रिश्ते बढ़े…

एक दिन मेरी बहन के Instagram से भाभी ने मेरी प्रोफाइल देख ली और request भेज दी। दिल की धड़कनें कुछ तेज़ हुईं — और हमने चैटिंग शुरू कर दी। बातों का सिलसिला इतना smooth था जैसे दोनों दिल पहले से एक-दूसरे को जानते हों।

एक दिन उन्होंने सीधा पूछ लिया:
“तुम मुझे इतने ध्यान से क्यों देखते हो?”
मैं थोड़ी देर चुप रहा, फिर softly reply किया:
“क्योंकि आप सबसे अलग लगती हो…”

भाभी typing में कुछ देर लगीं, फिर emoji भेजी: 😉
उसके बाद हमारी बातें हर रात होने लगीं — कभी इशारों में, कभी teasing में, और कभी-कभी तो ऐसी बातें कि लगता था… हम दोनों को बस कोई बहाना चाहिए मिलने का।

फोन कॉल से फिजिकल chemistry तक…

एक रात मैंने casually कह दिया,
“भाभी, आपकी मुस्कान दिन बना देती है… एक दिन ज़रा live दिखा दीजिए!”
वो हँस पड़ीं:
“Live? मतलब video call? और तुम क्या देखना चाहते हो?”
मैंने थोड़ा naughty tone में कहा:
“सब कुछ… जो सुबह-सुबह आप बिना सोचे दिखा देती हैं।”

उनकी हँसी, उनकी बातों का अंदाज़… अब हमारी chemistry सिर्फ चैटिंग तक सीमित नहीं रह गई थी।
उन्होंने एक रात softly कहा:
“अगर तुम सामने होते, तो शायद कुछ और दिखा देती…”

एक शाम जब दरवाज़ा खुला…

भाभी के पति बिज़नेस के सिलसिले में शहर से बाहर थे।
एक रात उनका message आया:
“अगर चाहो तो एक चाय पीने आ सकते हो… अकेली हूँ।”

मैंने बिना कुछ कहे घर के सामने का दरवाज़ा धीरे से खटखटाया।
भाभी दरवाज़े पर थीं, हल्के नीले सूट में…
उनकी आँखों में कुछ था — शायद इंतज़ार, शायद चाहत, और शायद… इज़ाज़त।

बातों से आगे… एक कशिश की कहानी

उस रात हमने कोई boundaries पार नहीं की, लेकिन हमारे बीच जो tension था, वो किसी भी romantic फिल्म के climax से कम नहीं था।

हमने बस हाथ थामा… और बहुत देर तक खामोश बैठे रहे।
उनके हाथों की गरमी, मेरी धड़कनों की रफ्तार… सब कुछ कुछ कह रहा था।
भाभी softly बोलीं:
“कभी-कभी… ज़िंदगी वो दे देती है जिसकी हमें ज़रूरत होती है… बस उसे समझने के लिए दिल चाहिए।”

हर रिश्ता बदनाम नहीं होता…

इस कहानी का कोई clear end नहीं है…
हम आज भी एक-दूसरे के करीब हैं, लेकिन सिर्फ उतना जितना नज़रों से दिल की बात कह दी जाए

कभी-कभी एक forbidden feeling ही सबसे प्यारी लगती है — जब आप किसी को पूरी तरह नहीं पा सकते, लेकिन फिर भी वो हर रोज़ आपकी ज़िंदगी का हिस्सा होते हैं।

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