यह ऑफिस रोमांस हिंदी कहानी है रोहित की, जिसने अपनी मैडम के साथ ऑफिस में एक रात बिताई जो कभी नहीं भूली।
मैं रोहित हूँ, उम्र 26 साल। ये कहानी है उस रात की, जिसने मेरी ज़िंदगी ही बदल दी।
मैं एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हूँ, जहाँ मेरी बॉस — रिया मैडम — 35 साल की सीनियर मैनेजर हैं। लंबी, गोरी, और एकदम कड़क अंदाज़। मगर अंदर से… कुछ और ही थीं।
शुरुआत हुई एक रात से
वो बुधवार की शाम थी। सब लोग निकल चुके थे, बस मैं कुछ रिपोर्ट्स खत्म कर रहा था। तभी रिया मैडम आईं और बोलीं:
“रोहित, क्या तुम थोड़ी देर रुक सकते हो? मुझे एक प्रेजेंटेशन में मदद चाहिए।”
मैं तो अंदर से झूम उठा। अकेले ऑफिस में रिया मैडम के साथ? वाह!
मैंने झूठा मुस्कुरा कर कहा, “बिलकुल मैम।”
ऑफिस का माहौल बदलने लगा
रिया मुझे कॉन्फ्रेंस रूम में ले गईं। मैंने लैपटॉप खोला और प्रेजेंटेशन समझाने लगा। मैडम कुर्सी पर बैठ गईं, और उनकी नज़रें सीधे मेरी आँखों में।
कुछ मिनट बाद उन्होंने कहा,
“रोहित… तुम बहुत समझदार हो। पर तुम्हारी आँखें हमेशा कुछ और कहती हैं।”
मैं थोड़ा झेंप गया।
“मैम… क्या मतलब?”
रिया उठी, मेरे पास आई, और बोली,
“मतलब ये, कि तुम्हें मेरे सिर्फ काम में नहीं… मुझमें भी दिलचस्पी है।”
उसके बाद जो हुआ… वो अब भी मेरी यादों में जिंदा है।
जैसे कोई सपना था
रिया ने अपनी ऊँगलियों से मेरी शर्ट का बटन खोला।
“आज सिर्फ काम की बातें नहीं होंगी रोहित…”
मैं अब तक शांत था, लेकिन अब खुद को रोक नहीं पाया। मैंने धीरे से उनके कमर को पकड़ा। उनका जिस्म गर्म था, और साँसे तेज।
रिया ने मेरी गर्दन पर होंठ रख दिए। मैंने भी उन्हें अपनी बाँहों में कस लिया।
ऑफिस की मेज अब एक नया रोल निभा रही थी।
बोल्ड पल
रिया की साड़ी अब उनकी कमर से ढलकने लगी। उन्होंने मेरी पैंट का बटन खोला और कान में कहा:
“मुझे लगता है, तुम्हारा प्रेजेंटेशन अब असली में शुरू होगा…”
मैंने धीरे से उन्हें टेबल पर बैठाया। उसकी आँखों में आग थी और होंठों पर मुस्कान।
हम दोनों ने एक-दूसरे को ऐसे छुआ, जैसे बरसों से तरसे हुए हों।
हमारी साँसे, हमारे स्पर्श… वो हर पल जैसे कोई फैंटेसी बन गया।
मेरा पहला अनुभव
मेरे लिए ये पहली बार था किसी सीनियर औरत के साथ। पर रिया… उसने हर शर्म, हर हिचक को मिटा दिया।
उसकी साड़ी अब ज़मीन पर थी। मैंने उसकी गर्दन से नीचे तक किस किया।
“तुम बहुत हॉट हो रोहित…” — रिया ने कहा।
और फिर, हमारी दुनिया बस उस कमरे तक सिमट गई। हर सिसकी, हर कराह, हर छुअन… दिल में बसती गई।
क्लाइमेक्स
करीब एक घंटे बाद, जब हम दोनों थक चुके थे, रिया ने मेरी बाहों में सर रख कर कहा:
“तुम सिर्फ एक इम्प्लॉई नहीं… अब मेरे लिए कुछ और हो।”
मैंने उसकी आँखों में देखा और बोला,
“मैम… ये जो हुआ, क्या ये सिर्फ एक बार था?”
वो मुस्कुराईं — “अगर तुम चाहो, तो हर हफ्ते हो सकता है।”